बहरागोड़ा से ग्राउंड रिपोर्ट / चेहरों ने दल बदले ...भाजपा और झामुमो में भितरघात का डर





बहरागोड़ा (रोहित कुमार सिंह). बहरागोड़ा विधानसभा सीट इस बार भाजपा के लिए प्रतिष्ठा की लड़ाई बन गई है। पार्टी ने 2014 के चुनाव में झामुमाे के टिकट पर जीते कुणाल षाड़ंगी काे यहां से उम्मीदवार बनाया है। कुणाल ने हाल ही में भाजपा ज्वाइन किया है। इसलिए पार्टी के स्थानीय नेता उन्हें पचा नहीं पा रहे हैं और बाहरी की नजर से देख रहे हैं।


ऐन चुनाव के वक्त पार्टी के इस फैसले से पूर्व प्रदेश अध्यक्ष और पिछले चुनाव में इस सीट पर दूसरे स्थान पर रहे डाॅ. दिनेशानंद गाेस्वामी खासे नाराज हैं अाैर घर बैठ गए हैं। भाजपा नेताओं की नाराजगी का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि कई मंडल अध्यक्ष समेत अन्य पदाधिकारी भाजपा के कार्यक्रमाें में शामिल नहीं हो रहे हैं। लिहाजा चुनाव में भाजपा के लिए भितरघाट से निपटना सबसे बड़ी चुनौती होगी। वहीं, दूसरी ओर यहां से भाजपा से टिकट के प्रबल दावेदार समीर माेहंती झामुमो में चले गए हैं। कुल मिलाकर यहां की जनता दलबदलुओं में से किसी एक काे चुनेगी।
 


झामुमो काे सीट बचाने की चुनाैती 
दो विधानसभा चुनाव से बहरगोड़ा सीट झामुमो के कब्जे में है। 2009 झामुमो के विद्युत वरण महतो ने भाजपा प्रत्याशी डॉ. दिनेश कुमार षाड़ंगी को हराया था। 2014 में दिनेश षाड़ंगी के बेटे कुणाल ने झामुमो के टिकट पर भाजपा प्रत्याशी डॉ. दिनेशानंद गोस्वामी को हराया था। इस बार कुणाल भाजपा में हैं तो झामुमो को सीट बचाना चुनौती होगी।


सालों पुरानी ये जन समस्याएं, जाे दूर नहीं हाे सकीं



  • 1. पलायन :  बेरोजगारी सबसे बड़ी समस्या है। चाकुलिया की कई राइस मिलें बंद हो गई हैं। लोगों को रोजगार के लिए दूसरे राज्यों में पलायन करना पड़ रहा है। 

  • 2. शिक्षा : एक भी महिला कॉलेज नहीं है। छात्राओं को इंटर के बाद की पढ़ाई के लिए घाटशिला या जमशेदपुर जाना पड़ता है। गुड़ाबांदा में भी कॉलेज नहीं है। 

  • 3. स्वास्थ्य: एनएच किनारे बना एकमात्र ट्रामा सेंटर कई वर्षों से शुरू नहीं हुआ है। स्वास्थ्य उपकेंद्रों की हालत खस्ता है। डॉक्टर ताे दूर स्वास्थ्य कर्मी नहीं रहते हैं।

  • 4. बिजली : ग्रामीण क्षेत्र हाेने के कारण यहां की बिजली व्यवस्था राम भराेसे है। चाकुलिया का बालीबांध सब स्टेशन अबतक शुरू नहीं हो पाया है। 


3 चुनावों का सक्सेस रेट



  • 2014 : कुणाल षाड़ंगी, झामुमो 57,973 वाेट, डॉ. दिनेशानंद गोस्वामी,भाजपा 42,618 वाेट

  • 2009 : विद्युत वरण महतो, झामुमो 59,228 वाेट, दिनेश षाड़ंगी,भाजपा 42,074 वाेट 

  • 2005 : दिनेशानंद षाड़ंगी,भाजपा 51,753 वाेट, विद्युत वरण, झामुमो 48,441 वाेट


वोटर्स बोले, जीत के बाद वादे भूल जाते हैं



  • नेता चुनाव जीतते ही भूल जाते हैं। विकास नहीं हुआ है। सड़कें बदहाल हैं। शिक्षा के क्षेत्र में कोई काम नहीं हुआ है। - प्रशांत महतो

  • चाकुलिया में रेलवे ओवरब्रिज नहीं बना। चाकुलिया-बुड़ामारा रेललाइन का काम शुरू तक नहीं हाे पाया। - अजय सिंह